भारत में बिकने वाले नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी: अध्ययन से चिंताजनक खुलासा

saurabh pandey
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भारत में बिकने वाले नमक और चीनी के सभी ब्रांडों में खतरनाक माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति का खुलासा हुआ है। एक हालिया अध्ययन, जिसे पर्यावरण अनुसंधान संगठन ‘टॉक्सिक्स लिंक’ ने किया है, में यह दावा किया गया है कि नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी पाई गई है।

अध्ययन

अध्ययन में 10 प्रकार के नमक—जिनमें सेंधा नमक, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक शामिल हैं—और पांच प्रकार की चीनी का परीक्षण किया गया।

अध्ययन के अनुसार, नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति पाई गई है, जो विभिन्न रूपों में—जैसे फाइबर, छर्रे, और टुकड़े—मौजूद थे। माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी तक था। खासतौर पर, आयोडीन युक्त नमक में बहुरंगी पतले रेशों और फिल्मों के रूप में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।

टॉक्सिक्स लिंक’ के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा ने कहा, “हमारे अध्ययन में नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की महत्वपूर्ण मात्रा का पाया जाना चिंताजनक है। मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक के प्रभावों को लेकर तत्काल और व्यापक शोध की आवश्यकता है।”

माइक्रोप्लास्टिक मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ये छोटे प्लास्टिक कण भोजन, पानी, और हवा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। हाल के शोधों में माइक्रोप्लास्टिक मानव अंगों जैसे फेफड़े, हृदय, और यहां तक कि मां के दूध और अजन्मे बच्चों में भी पाए गए हैं।

इस अध्ययन ने यह साबित कर दिया है कि तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके।

भारत में नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति एक गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चिंता को उजागर करती है। हालिया अध्ययन से पता चला है कि इन खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की महत्वपूर्ण मात्रा पाई गई है, जो मानव शरीर में प्रवेश कर सकती है और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। माइक्रोप्लास्टिक का आकार और प्रकार विभिन्न हो सकते हैं, और यह चिंता का विषय है कि इन छोटे प्लास्टिक कणों का प्रभाव दीर्घकालिक रूप से क्या हो सकता है। इस स्थिति को देखते हुए, तात्कालिक शोध और कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति को नियंत्रित किया जा सके और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी खाद्य आपूर्ति सुरक्षित रहे, पर्यावरणीय नीतियों और खाद्य सुरक्षा मानकों में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाना आवश्यक है।

Source- दैनिक जागरण  

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