दिल्ली-एनसीआर के आसपास पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी से चिंतित केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और दिल्ली के जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें जो पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में असफल रहे हैं।
अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
सीएक्यूएम ने शिकायतों के आधार पर उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने पराली प्रबंधन के लिए आवश्यक कार्रवाई नहीं की। इसके तहत एक समिति बनाई जाएगी जिसमें नोडल अधिकारी, पर्यवेक्षण अधिकारी, थाना प्रभारी और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल होंगे। आयोग के सदस्य सचिव अरविंद नौटियाल ने मुख्य सचिवों को इस मुद्दे पर सख्त निर्देश दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि पराली जलाने की घटनाओं को समाप्त करने के लिए सतत और कड़ी निगरानी की जानी चाहिए।
पराली जलाने के मामलों में वृद्धि
इस वर्ष अब तक 1200 पराली जलाने के मामले सामने आ चुके हैं। शुक्रवार तक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में 1200 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं हुईं। पंजाब में सबसे अधिक 533 मामले दर्ज किए गए, जबकि हरियाणा में 300, उत्तर प्रदेश में 250, और राजस्थान में 50 मामले सामने आए हैं। यह स्थिति आयोग के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।
प्रदूषण स्तर में कमी
हालांकि, हाल के दिनों में राजधानी में हवा की दिशा में बदलाव और गति में वृद्धि के कारण प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 141 दर्ज किया, जो मध्यम श्रेणी में आता है। एनसीआर के फरीदाबाद में सबसे साफ हवा रही, जहाँ एक्यूआई 84 रहा, जो संतोषजनक श्रेणी में है।
मौसम की स्थिति
इस बीच, मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में सुबह और शाम हल्की ठंडक महसूस की जा रही है। अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 33.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान भी सामान्य से एक डिग्री कम 20.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शनिवार को हल्के बादल छाए रहने की संभावना है, जो वातावरण को और भी ठंडा कर सकते हैं।
पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं और इसके पर्यावरण पर प्रभाव को देखते हुए सीएक्यूएम का यह कदम आवश्यक और सही दिशा में है। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने से न केवल प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह कार्यान्वयन में भी सुधार लाएगा। अब देखना यह है कि इन निर्देशों का कितना प्रभावी पालन किया जाता है और क्या इससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पराली जलाने के मामलों पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को महसूस करते हुए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एक ठोस कदम उठाया है। इस दिशा में अधिकारियों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना और उन पर कार्रवाई का प्रावधान करना, प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।
इस पहल के माध्यम से न केवल पराली जलाने की घटनाओं को कम करने का प्रयास किया जाएगा, बल्कि इससे समग्र वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद भी जताई जा रही है। इसके साथ ही, मौसम के बदलाव और इसके प्रभावों का सामना करने के लिए सतत निगरानी और कार्यान्वयन आवश्यक है। यदि इन निर्देशों का प्रभावी ढंग से पालन किया गया, तो यह न केवल दिल्ली बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी बेहतर पर्यावरणीय स्थिति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।