लखनऊ के ध्वनि प्रदूषण पर निगरानी वाले संयंत्रों की स्थिति

saurabh pandey
3 Min Read

राजधानी लखनऊ में ध्वनि प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कुल 10 रियल टाइम एंबिएंट नॉइज़ मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। हाल ही में “डाउन टू अर्थ” ने इनमें से पांच स्टेशनों का दौरा किया ताकि उनकी स्थिति का आकलन किया जा सके।

स्टेशनों का दौरा

इन पांच मॉनिटरिंग स्टेशनों में तीन मौन क्षेत्र (आईटी कॉलेज, एसजीपीजीआई, और तालकटोरा) और दो औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं। लेकिन लखनऊ में स्थित अन्य पांच मॉनिटरिंग स्टेशनों का स्थान जानने के लिए अधिकारियों से बार-बार संपर्क किया गया, परंतु कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी।

प्रौद्योगिकी में कमी

तलकटोरा और एसजीपीजीआई में स्थापित मॉनिटरिंग स्टेशनों पर देखा गया कि ये पेड़-पौधों की पत्तियों से ढके हुए थे। जब “डाउन टू अर्थ” ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओएंडएम पार्टनर कंपनी एसजीएस वेदर की तकनीकी टीम से इस स्थिति के बारे में पूछा, तो उन्होंने स्पष्टता से बचने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि कैलिब्रेशन और डिसेमिनेशन की जिम्मेदारी सीपीसीबी की है, जबकि उनका काम नेटवर्क स्थापित करना था।

निगरानी की स्थिति

  • एसजीपीजीआई (मौन क्षेत्र): यहां के मॉनिटरिंग स्टेशन को एक घंटे की खोजबीन के बाद 15 फीट ऊंचाई पर पत्तों से घिरा हुआ पाया गया।
  • आईटी कॉलेज (मौन क्षेत्र): यहां भी पत्तों से ढका हुआ नेटवर्क पाया गया।
  • तालकटोरा (औद्योगिक क्षेत्र): इस स्थान पर भी पेड़ों की पत्तियों से घिरा हुआ मॉनिटरिंग स्टेशन देखा गया।

तकनीकी समस्याएँ

गौरतलब है कि इन मॉनिटरिंग स्टेशनों में से एक की एम्बेडेड एलईडी डिस्प्ले पिछले 2-3 महीनों से नेटवर्क की समस्या के कारण बंद पड़ी थी। गार्डों से पूछताछ पर उन्होंने बताया कि यदि नियमित देखरेख होती, तो ये मशीनें साफ-सुथरी रहतीं।

प्रशासन की चुप्पी

12 अगस्त को “डाउन टू अर्थ” ने सीपीसीबी के लखनऊ क्षेत्रीय निदेशक कमल कुमार से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने मीडिया से बात करने से मना कर दिया और दिल्ली मुख्यालय से बात करने की सलाह दी।

विशेषज्ञों की राय

दिल्ली स्थित एनजीटी की वकील मधुमिता सिंह का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केवल कागजी कार्रवाई की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीनी स्थिति अब भी चिंताजनक है और सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जैसे न्यायालयों के आदेशों के बावजूद सीपीसीबी के अधिकारियों में कोई संवेदनशीलता नहीं है।

लखनऊ में ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने वाले संयंत्रों की स्थिति गंभीर है। कई स्थानों पर तकनीकी और प्रशासनिक कमजोरियां स्पष्ट रूप से नजर आ रही हैं। यदि ध्वनि प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो इसका प्रभाव ना केवल पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *