दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। रविवार को राजधानी की हवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई, जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 277 पर रहा, जबकि आनंद विहार का AQI खतरनाक स्तर पर पहुंचते हुए 454 तक दर्ज किया गया।
NCR में प्रदूषण का हाल
दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद का AQI 243, गुरुग्राम का 219 और नोएडा का 206 रहा। हालांकि, ग्रेटर नोएडा की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर रही। पूरे देश में सबसे खराब स्थिति एमपी के सिंगरौली की रही, जहां AQI 290 पर पहुंचा।
आनंद विहार और अन्य इलाकों में हालात गंभीर
दिल्ली के 35 केंद्रों में से 14 स्थानों की हवा बेहद खराब पाई गई। आनंद विहार, बवाना, द्वारका, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, पटपड़गंज, रोहिणी, शादीपुर, और सोनिया विहार में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। वाहनों से निकलने वाले धुएं ने दिल्ली के प्रदूषण में 9.69% योगदान दिया।
पराली जलाने के मामले
CPCB के अनुसार, इस साल पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। 15 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच 2,733 मामले सामने आए, जिनमें से पंजाब में 1,393, हरियाणा में 642, उत्तर प्रदेश में 687 और दिल्ली में 11 मामले दर्ज किए गए।
तापमान में उतार-चढ़ाव
रविवार को अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 3.2 डिग्री अधिक है। सोमवार को भी तापमान 36 डिग्री के आसपास रहने का अनुमान है, जबकि न्यूनतम तापमान 18 डिग्री रहेगा। कोहरे के बने रहने की संभावना है और आसमान साफ रहने का पूर्वानुमान है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने एक बार फिर लोगों की चिंता बढ़ा दी है। बढ़ता AQI स्तर श्वसन संबंधी बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है, जिससे बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल और प्रदूषित क्षेत्रों से दूर रहना जरूरी हो गया है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है, जिसका सीधा असर जनस्वास्थ्य पर पड़ सकता है। बढ़ते AQI स्तर से श्वसन रोग, एलर्जी, और आंखों की समस्याएं बढ़ने की आशंका है। पराली जलाने के मामलों में कमी के बावजूद वाहनों से निकलने वाला धुआं और मौसम में बदलाव प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। आनंद विहार और अन्य इलाकों में बेहद खराब हवा की स्थिति यह संकेत देती है कि तात्कालिक उपायों की जरूरत है। प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का उपयोग, गैर-जरूरी यात्रा से बचना और प्रदूषित समय में घर के भीतर रहना जरूरी है। सरकार और नागरिकों के समन्वित प्रयास से ही इस चुनौती से निपटा जा सकता है।