नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट: वन्यजीव बचाव केंद्र और सुरक्षित उड़ानों की तैयारी

saurabh pandey
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नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का पहला चरण निर्माण के अंतिम दौर में है, जहां अप्रैल 2025 से नियमित उड़ानें शुरू होने की योजना है। इस एयरपोर्ट के संचालन में वन्यजीवों की सुरक्षा और उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन्यजीव बचाव केंद्र स्थापित किया गया है। यह केंद्र एयरपोर्ट के आसपास के इलाकों में पाए जाने वाले जंगली जानवरों से निपटने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।

वन्यजीव बचाव केंद्र: संरक्षित क्षेत्र और फंडिंग

एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्रों में नीलगाय, काला हिरण, भारतीय चिंकारा, बंदर, सारस और सियार जैसे कई जंगली जानवर पाए जाते हैं। ऐसे में सुरक्षित उड़ान संचालन सुनिश्चित करने के लिए यमुना प्राधिकरण ने वन विभाग को 5 हेक्टेयर भूमि और 46 लाख रुपये का फंड प्रदान किया है। इस केंद्र का काम निर्माण के दौरान और उसके बाद किसी भी जंगली जानवर के हस्तक्षेप से बचाव करना है।

निर्माण कार्य की प्रगति के साथ कई जानवरों ने अपना आवास बदल लिया है, लेकिन कुछ अभी भी आसपास के इलाकों में मौजूद हैं। इस केंद्र का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एयरपोर्ट के रनवे और उड़ानों के संचालन के दौरान किसी भी प्रकार का जोखिम न हो।

रनवे और उपकरणों का परीक्षण

एयरपोर्ट के पहले चरण में 1,334 हेक्टेयर भूमि पर निर्माण किया जा रहा है, जिसमें छह गांवों को शामिल किया गया है। वर्तमान में एयरपोर्ट के सभी तकनीकी उपकरणों की जांच पूरी हो चुकी है, और नवंबर 2024 से रनवे का परीक्षण शुरू होने वाला है। इन ट्रायल्स का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उड़ानें पूरी तरह से सुरक्षित और समयबद्ध हों।

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बुकिंग प्रक्रिया

एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की टिकट बुकिंग आधिकारिक उद्घाटन से 90 दिन पहले शुरू होने की उम्मीद है, जबकि घरेलू उड़ानों की टिकट बुकिंग छह सप्ताह पहले उपलब्ध हो जाएगी। एयरपोर्ट का संचालन और निर्माण ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल की निगरानी में हो रहा है, जो वैश्विक स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले हवाई अड्डों के निर्माण के लिए जानी जाती है।

बिजली आपूर्ति और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयारियां

एयरपोर्ट की तैयारियों के तहत उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPTCL) द्वारा बिजली आपूर्ति की समीक्षा की गई। शुक्रवार को UPPTCL के प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद ने एयरपोर्ट को पावर सप्लाई करने वाले बिजली सबस्टेशन का निरीक्षण किया और 220 केवी की पावर लाइन की प्रगति का भी आकलन किया। उन्होंने 2025 में उड़ानों के शुरू होने के बाद संभावित लोड प्रबंधन और वितरण नेटवर्क की तैयारियों पर चर्चा की।

रणवीर प्रसाद ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ भी बैठक कर एयरपोर्ट के निर्माण कार्य की स्थिति का जायजा लिया और समयसीमा के भीतर परियोजना पूरी करने के निर्देश दिए।

एयरपोर्ट की सुरक्षा और वन्यजीव प्रबंधन का महत्व

अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, एयरपोर्ट और वन्यजीव प्रबंधन के बीच तालमेल अत्यंत जरूरी है। किसी भी जंगली जानवर की उपस्थिति उड़ानों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। इसलिए, निर्माण कार्य के दौरान और उसके बाद भी यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वन्यजीव बचाव केंद्र इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सके।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परियोजना अप्रैल 2025 में शुरू होने वाली उड़ानों के साथ उत्तर प्रदेश और देश के लिए एक बड़ा कदम साबित होगी। सुरक्षित उड़ानों के संचालन के लिए वन्यजीव प्रबंधन, तकनीकी परीक्षण, और पावर सप्लाई जैसी तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह एयरपोर्ट न केवल क्षेत्रीय विकास को गति देगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के हवाई यातायात में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है, जो अप्रैल 2025 से नियमित उड़ानों की शुरुआत के साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा। परियोजना के निर्माण के दौरान वन्यजीव प्रबंधन, रनवे और उपकरणों की टेस्टिंग, तथा पावर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी तैयारियों को प्राथमिकता देकर उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।

वन्यजीव बचाव केंद्र का निर्माण यह दर्शाता है कि एयरपोर्ट प्रबंधन पर्यावरण-संवेदनशील विकास के प्रति प्रतिबद्ध है। साथ ही, एयरपोर्ट संचालन से पहले अंतरराष्ट्रीय और घरेलू टिकट बुकिंग की सुव्यवस्थित प्रक्रिया यात्रियों को समय पर सेवाएं प्रदान करेगी।

यह एयरपोर्ट क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, व्यापार और पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा, और उत्तर प्रदेश को वैश्विक हवाई यातायात मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा। आधुनिक तकनीक और सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ तैयार की जा रही यह परियोजना भविष्य में सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल हवाई संचालन का उदाहरण बनेगी।

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