फरीदाबाद में 500 पेड़ों की कटाई के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने संबंधित पक्षों को आठ सप्ताह के भीतर अपनी दलीलें पेश करने का निर्देश दिया है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब शिकायतकर्ता सुदेश कुमार ने नगर निगम फरीदाबाद पर आरोप लगाया कि निगम ने एक परियोजना प्रस्तावक के साथ मिलकर बिना अनुमति के बड़ी संख्या में पेड़ों को काट दिया। इन पेड़ों की कटाई का मुख्य उद्देश्य एक लैंडफिल साइट की स्थापना बताई गई है।
आरोप और विवाद
सुदेश कुमार का कहना है कि यह भूमि असल में वन एवं स्वास्थ्य विभाग की है और इसे नगर निगम को हस्तांतरित नहीं किया गया है। इस प्रकार की कार्यवाही से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है, बल्कि यह अवैध भी है। सुदेश कुमार के अनुसार, नगर निगम ने इस भूमि का उपयोग कर अवैध रूप से लैंडफिल साइट बनाने का प्रयास किया है, जो स्पष्ट रूप से पर्यावरण संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है।
एनजीटी की पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 5 फरवरी को एक संयुक्त समिति का गठन किया था। यह समिति 27 मार्च को अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी है, लेकिन आवेदक ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। नगर निगम ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसके आधार पर एनजीटी ने सभी पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाया है।
एनजीटी का निर्देश
एनजीटी की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि आवेदक को परियोजना प्रस्तावक के वकील को तीन दिन के भीतर सभी संबंधित दस्तावेज प्रदान करने होंगे। वहीं, परियोजना प्रस्तावक को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
इस मामले में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पर्यावरणीय सुरक्षा के मानकों का उल्लंघन न हो।
जनता की चिंताएँ
फरीदाबाद की स्थानीय जनता में इस मामले को लेकर चिंता की लहर दौड़ गई है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या नगर निगम इस तरह की अवैध गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा? पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि पेड़ों की कटाई से न केवल क्षेत्र की जैव विविधता प्रभावित होगी, बल्कि इससे स्थानीय जलवायु भी बदलेगी।
फरीदाबाद में पेड़ों की कटाई का यह मामला न केवल एक कानूनी विवाद है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। एनजीटी का हस्तक्षेप यह दर्शाता है कि पर्यावरणीय कानूनों की गंभीरता को समझा जा रहा है और उनका पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
इस मामले की सुनवाई का अगला चरण कई सवालों के जवाब देगा और यह स्पष्ट करेगा कि क्या नगर निगम को इस अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा या नहीं। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों को अब इस मामले के आगे की प्रक्रिया का इंतजार है।