दिल्ली और एनसीआर में हालिया बारिश के बावजूद वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 109 पर पहुंच गया है, जो मध्यम श्रेणी में आता है। फरीदाबाद में भी एक्यूआई में 28 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो 146 पर पहुंच गया है। इसके विपरीत, देश के कुछ शहरों में हवा बेहद साफ है, जैसे आइजोल, लातूर, मदिकेरी, और तुमिडीह, जहां एक्यूआई 19 तक दर्ज किया गया है।
मुंगेर और बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति
वहीं, बिहार के मुंगेर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 243 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है, जो कि देश में सबसे खराब स्थिति को दर्शाता है। इसी प्रकार, मेघालय के बर्नीहाट में एक्यूआई 232 तक पहुंच गया है, जो गंभीर प्रदूषण की ओर इशारा करता है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का प्रभाव
दिल्ली और एनसीआर के अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता के आंकड़े चिंता का विषय बन गए हैं। दिल्ली, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। इन क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है, जो स्थानीय स्वास्थ्य और जीवनस्तर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
देश भर के 124 शहरों में वायु गुणवत्ता ‘बेहतर’ श्रेणी में बनी हुई है, जहां एक्यूआई 50 या उससे नीचे दर्ज किया गया है। इनमें अगरतला, आगरा, आइजोल, अकोला, और कई अन्य शहर शामिल हैं। हालांकि, संतोषजनक वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में 12 फीसदी की कमी आई है, जिससे कुल संख्या 85 रह गई है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का महत्व
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) हवा की गुणवत्ता को मापने का एक महत्वपूर्ण मानक है। इसके अनुसार:
- 0-50: हवा साफ
- 51-100: संतोषजनक हवा
- 101-200: मध्यम प्रदूषण
- 201-300: खराब हवा
- 301-400: बेहद खराब हवा
- 401-500: गंभीर स्थिति
यह सूचकांक वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव को भी दर्शाता है, जहां 301 से ऊपर की श्रेणी में हवा की गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।
आगे की राह
प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर प्रभावी उपायों की जरूरत है। इसमें ग्रीन स्पेस का विकास, उद्योगों से उत्सर्जन में कमी, और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।
वर्तमान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के आंकड़े प्रदूषण की गंभीरता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। दिल्ली और एनसीआर जैसे प्रमुख शहरों में बारिश के बावजूद वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है, जबकि कुछ शहरों में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी जा रही है। मुंगेर और बर्नीहाट जैसे स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
इस स्थिति में सुधार लाने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना आवश्यक है। इसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर नियम, पर्यावरणीय सुधार और जनता को जागरूक करने वाले कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं। सतत प्रयास और समन्वित कार्यवाही से ही वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है और भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
इस तरह के वायु प्रदूषण के आंकड़े हमें यह संकेत देते हैं कि पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में लगातार प्रयास करने की जरूरत है। समाज और सरकार को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि सभी नागरिक स्वच्छ और स्वस्थ हवा में सांस ले सकें।
source and data- down to earth