जलवायु परिवर्तन: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से मामले बढ़े

saurabh pandey
3 Min Read

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इसके दुष्प्रभावों के खिलाफ अधिकारों को मान्यता दी है। इस फैसले में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के मानव जाति पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव मौलिक अधिकारों से जुड़े हैं, जिसके चलते देश में जलवायु परिवर्तन से जुड़े और मामले दर्ज हो सकते हैं। गुरुवार को जारी एक वैश्विक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक ये मामले दुनिया के कुल मामलों का आठ प्रतिशत हैं। एमके रंजीत सिंह और अन्य बनाम भारत संघ मामले पर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ग्रांथम रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन क्लाइमेट चेंज एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक ‘ग्लोबल साउथ’ में जलवायु न्यायालय के मामले बढ़ रहे हैं और लोगों का ध्यान भी इस ओर आकर्षित हो रहा है। वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत ग्लोबल साउथ के देशों में जलवायु परिवर्तन के दो सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। ये मामले दुनिया के कुल मामलों का आठ प्रतिशत हैं।

लगभग 70 प्रतिशत मामले पेरिस समझौते के बाद यानी 2015 के बाद ही दर्ज किए गए हैं। अकेले वर्ष 2023 में 233 नए मामले दर्ज किए गए। इस शोध ने संकेत दिया है कि वैश्विक दक्षिण में जलवायु परिवर्तन के 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

प्रतीकात्मक दक्षिण के कुछ देशों में जलवायु मामलों को सुलझाने के लिए अदालतों का इस्तेमाल बढ़ रहा है जबकि अन्य देशों में रणनीतिक आधार पर जलवायु मुकदमों से बचा जा रहा है। वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि एमके रंजीत सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन के परिणाम भारतीय संविधान में निहित जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। इस मामले में बिजली के तारों के कारण सोन चिरैया (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) का अस्तित्व प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है और यह लगभग विलुप्त हो चुका है।

यह फैसला न केवल जलवायु परिवर्तन के मामलों को बढ़ावा देगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि लोग अपने अधिकारों के लिए न्याय प्राप्त कर सकें। जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से निपटने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा।

सौरभ पाण्डेय

prakritiwad.com

source- दैनिक जागरण

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *