जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्राचीन वनों की भूमिका बेहद अहम साबित हो रही है। एक नए अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि प्राचीन वन वायुमंडल में बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) स्तर को प्रभावी ढंग से कम करने में सक्षम हैं। इन जंगलों में बायोमास का उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है, जो उन्हें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में महत्वपूर्ण हथियार बनाता है।
यह शोध पुराने सिद्धांत को चुनौती देता है, जिसमें कहा गया था कि प्राचीन वनों में बढ़ते CO2 स्तर को कम करने की क्षमता सीमित होती है। शोधकर्ताओं ने 180 साल पुराने पर्णपाती जंगलों का अध्ययन किया और पाया कि ये वन CO2 को अवशोषित कर उसे बड़े पैमाने पर संग्रहीत करते हैं, जिससे वायुमंडल में कार्बन की मात्रा कम होती है।
प्राकृतिक समाधान मानव तकनीक से अधिक प्रभावी
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि प्राचीन पेड़ वायुमंडल से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालकर उसे सुरक्षित रूप से संग्रहीत करते हैं। यह प्रक्रिया इतनी प्रभावी है कि कोई भी मानव निर्मित तकनीक इसके बराबर नहीं आ सकती। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से पेड़ CO2 और पानी को शर्करा में बदलते हैं, जिससे नई शाखाएं, जड़ें और तने बनते हैं।
पेड़ों के आकार के साथ उनका कार्बन भंडारण बढ़ता जाता है। जितना बड़ा पेड़, उतनी अधिक मात्रा में कार्बन वह सुरक्षित रख सकता है। शोध के अनुसार, पेड़ों का संरक्षण और उनकी वृद्धि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बेहद प्रभावी साबित हो सकती है।
शोध के परिणाम और दीर्घकालिक महत्व
शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के वन अनुसंधान संस्थान (BIFor) में दीर्घकालिक मुक्त-वायु CO2 संवर्धन (FACE) डेटा का अध्ययन किया। इसके निष्कर्षों को वैज्ञानिक पत्रिका नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित किया गया। यह शोध आने वाले दशकों में कार्बन भंडारण और प्राकृतिक जलवायु समाधानों पर बड़े सवाल खड़े कर सकता है।
शोध के मुताबिक, प्राचीन वनों का संरक्षण अत्यंत जरूरी है, क्योंकि ये न केवल कार्बन अवशोषण में मदद करते हैं, बल्कि वन्यजीवों और मानव गतिविधियों के लिए भी आवास प्रदान करते हैं।
इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में प्राचीन वन अत्यधिक मूल्यवान हैं। न केवल वे बढ़ते CO2 स्तर को कम करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि प्राकृतिक समाधान मानव तकनीकों से कहीं अधिक प्रभावी और टिकाऊ हैं। इसलिए, प्राचीन जंगलों का संरक्षण और पुनर्स्थापन न केवल आज के लिए, बल्कि भविष्य के लिए भी आवश्यक है।
प्राचीन वनों का संरक्षण जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी सबसे प्रभावी ढाल साबित हो सकता है। यह शोध दर्शाता है कि प्राकृतिक प्रक्रियाएं, जैसे कि वनों द्वारा CO2 का अवशोषण और उसका भंडारण, किसी भी मानव निर्मित तकनीक से अधिक प्रभावी हैं। प्राचीन जंगलों की क्षमता को समझते हुए, इनका संरक्षण और पुनर्विकास न केवल आज की जलवायु चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य के लिए एक स्थायी और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेगा।
source- अमर उजाला