आइसक्रीम, चिप्स और बर्गर के ज्यादा सेवन से स्ट्रोक का खतरा

prakritiwad.com
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अमर उजाला नेटवर्क

नई दिल्ली। फ्राइज़, चिप्स, बर्गर, कैंडी, सॉफ्ट ड्रिंक और आइसक्रीम जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स यानी बेहद ज्यादा प्रोसेस किए जाने वाले खाद्य पदार्थ लोगों को शारीरिक और दिमागी तौर पर कमजोर कर रहे हैं। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ऐसे खाद्य पदार्थ मानसिक स्वस्थ के साथ-साथ स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ाते हैं। इन खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से सोचने-समझने, सूझ, सीखने और याददाश्त की क्षमता में कमी देखी गई है।

8 प्रतिशत बढ़ी स्ट्रोक की समस्या

शोध के अनुसार, दुनिया में करीब 14 प्रतिशत वयस्क और 12 प्रतिशत बच्चे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स को रोजाना सेवन करते हैं। इन खाद्य पदार्थों को लेने वाले लोगों में यह लत तंबाकू और शराब की तरह जितनी ही बढ़ चुकी है।

बहुत ज्यादा प्रोसेस किए खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की कमी होती है। इससे सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पिछले 10 वर्षों में स्ट्रोक की समस्या में 8 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

लोगों को ध्यान देना चाहिए कि वे क्या खा रहे हैं। मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के मेनुअल रिसर्चर डॉ. एडवर्ड फिचलॉ द्वारा कहा गया है कि हर व्यक्ति को न केवल इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वे कितना भोजन ले रहे हैं बल्कि यह भी महत्वपूर्ण है कि वे क्या खा रहे हैं। अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन से कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिसमें स्ट्रोक की समस्या शामिल है।

क्या होते हैं अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स

जब प्राकृतिक रूप से प्राप्त खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक संरक्षित करने और स्वाद बढ़ाने के लिए उनमें कई प्रकार के तत्व डाले जाते हैं तो वे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स बन जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों में अत्यधिक मात्रा में शुगर, नमक, तेल और विभिन्न प्रकार के केमिकल्स होते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

ज्यादा नमक के सेवन से हर साल 30 लाख मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े भी दर्शाते हैं कि हर साल जरूरत से ज्यादा नमक (सोडियम) का सेवन करने से दुनिया में 30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों की समस्या में भी बढ़ोतरी हो रही है।

यह लेख अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के अत्यधिक सेवन के हानिकारक प्रभावों को दर्शाता है और बताता है कि कैसे यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, यह लोगों को अपने आहार पर ध्यान देने और स्वस्थ खाने की आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

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