बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर खुशी के साथ-साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष की चिंता

saurabh pandey
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आज विश्व बाघ दिवस के मौके पर बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर खुशी मनाई जा रही है, लेकिन इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती चिंता भी प्रमुख मुद्दा बन गई है। भारत के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य, कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या अब 260 तक पहुंच गई है, जो एक सुखद संकेत है। हालांकि, बाघों की बढ़ती संख्या के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्याएँ भी बढ़ रही हैं, जिससे भविष्य में कई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

बाघों की संख्या में वृद्धि और संघर्ष

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2006 की जनगणना में यहाँ 100 बाघ थे, जो 2018 में 231 और 2023 में 260 तक पहुँच गए हैं। यह वृद्धि अनुकूल वातावरण, सुरक्षा प्रबंधन और पर्याप्त आहार के कारण है। हालांकि, बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है। पिछले 15 वर्षों में, बाघों के हमलों में 37 लोगों की मौत हो चुकी है। रामनगर क्षेत्र में पिछले एक साल में 16 बाघ पकड़े जा चुके हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।

रूस से शुरू हुई बाघ संरक्षण मुहिम

बाघों की घटती संख्या से चिंतित दुनिया के 13 देशों ने बाघों को बचाने के लिए एक संयुक्त प्रयास शुरू किया था। इस मुहिम की शुरुआत रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुई और 21 नवंबर 2010 को इंटरनेशनल टाइगर फोरम का गठन किया गया। विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाने का निर्णय लिया गया। बाघ संरक्षण अभियान में भारत, बांग्लादेश, रूस, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार और नेपाल जैसे देश शामिल हैं।

बाघों के मानव-जनसंख्या के करीब आने के कारण

बाघों का आबादी के करीब आना आसान शिकार के कारण है। इसके अतिरिक्त, कमजोर बाघ ताकतवर बाघों से बचने के लिए आबादी के किनारे आ जाते हैं। इन बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष की संभावना भविष्य में बढ़ सकती है, जो सरकार और कॉर्बेट पार्क के लिए एक गंभीर चुनौती होगी।

वर्तमान में बाघों की संख्या में वृद्धि खुशी का विषय है, लेकिन इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय हैं। बाघों के संरक्षण के साथ-साथ उनके और मानवों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए प्रभावी नीतियाँ और रणनीतियाँ अपनाना अत्यंत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बाघों और मानवों के बीच संतुलन बना रहे, सरकार और वन्यजीव संरक्षण संगठनों को मिलकर काम करना होगा।

source and data – दैनिक जागरण

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