वन बहाली: जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता को बढ़ाने का सफल प्रयास

saurabh pandey
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जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से निपटने और जैव विविधता को पुनर्जीवित करने के लिए वनों की बहाली और संरक्षण एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में उभर रहा है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में, जो एक्सेटर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा संचालित है, यह पता चला है कि भारत में वनों की पुनर्स्थापना और संरक्षण परियोजनाएं जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

वनों की बहाली का महत्व

वनों की बहाली से न केवल पर्यावरणीय स्थिरता हासिल की जा सकती है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए भी लाभकारी साबित हो सकती है। वनों का पुनर्स्थापन प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता में सुधार करता है, जिससे स्थानीय आजीविका को मजबूती मिलती है। इसके अलावा, जैव विविधता में वृद्धि से पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिरता मिलती है, जिससे लंबे समय तक पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है।

एनसीपी ढांचे का प्रभाव

अध्ययन में यह भी पाया गया कि “नेचर कंट्रीब्यूशन टू पीपल” (एनसीपी) नामक एकीकृत ढांचे का उपयोग करके बहाली योजनाओं को लागू करने से अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकता है। एनसीपी ढांचे के तहत, वनों की बहाली परियोजनाओं में जलवायु, जैव विविधता और सामाजिक कल्याण जैसे कई उद्देश्यों को संतुलित किया जाता है। इस दृष्टिकोण से, वन पुनर्स्थापना से जुड़े सभी पहलुओं को एक साथ ध्यान में रखते हुए, सामुदायिक विकास और पर्यावरणीय सुधार को साथ में आगे बढ़ाया जा सकता है।

अध्ययन के नतीजे

शोधकर्ताओं ने पाया कि एकीकृत योजनाएं, जो कई उद्देश्यों को संतुलित करती हैं, अन्य योजनाओं की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं। उदाहरण के लिए, जिन योजनाओं में केवल कार्बन भंडारण पर ध्यान केंद्रित किया गया था, वे जैव विविधता या सामाजिक कल्याण के लक्ष्यों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर सकीं। इसके विपरीत, एकीकृत योजनाओं में औसतन 80 प्रतिशत से अधिक लाभ देखने को मिला, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि एकल लक्ष्य की बजाय बहु-लक्ष्यी योजनाएं अधिक फायदेमंद होती हैं।

भविष्य के लिए दिशा-निर्देश

अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारत में वनों की बहाली और संरक्षण परियोजनाओं को एनसीपी ढांचे के तहत लागू किया जाना चाहिए। इससे न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलेगी, बल्कि जैव विविधता और सामाजिक कल्याण में भी सुधार होगा। यह दृष्टिकोण न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण रणनीति साबित हो सकता है।

वनों की बहाली से प्राप्त होने वाले ये परिणाम मानवता के लिए एक व्यापक संबंध को उजागर करते हैं, जो पर्यावरणीय और सामाजिक स्थिरता दोनों के लिए आवश्यक है। इस अध्ययन के माध्यम से, यह स्पष्ट हो गया है कि एकीकृत और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने से हम अधिक स्थायी और न्यायसंगत भविष्य की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

भारत में वनों की बहाली और संरक्षण से जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, और सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण सुधार संभव है। अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि एकीकृत बहाली योजनाएं, जो विभिन्न उद्देश्यों को संतुलित करती हैं, उन योजनाओं की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं जो केवल एक लक्ष्य पर केंद्रित होती हैं। एनसीपी (नेचर कंट्रीब्यूशन टू पीपल) ढांचे का उपयोग करके, भारत में वनीकरण परियोजनाओं ने जलवायु परिवर्तन में 80 प्रतिशत से अधिक सुधार का प्रदर्शन किया है। यह दृष्टिकोण न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

Source- अमर उजाला

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