बिहार में इस साल फिर से बाढ़ का कहर जारी है, जिससे राज्य के कई जिलों में भारी तबाही हुई है। हर साल की तरह इस बार भी बाढ़ से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। राज्य के उत्तरी हिस्से में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे कई तटबंध टूट चुके हैं और हजारों लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
मंगलवार को मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड में लखनदेई नदी का तटबंध टूटने से आस-पास के इलाकों में पानी भर गया। इसी तरह, दरभंगा और पूर्वी चंपारण जिलों में भी तटबंध टूटने की खबरें आई हैं, जिससे 73 गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। पिछले 48 घंटों में बाढ़ के चलते 9 तटबंध और 3 सुरक्षा बांध टूट चुके हैं, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
राहत और बचाव कार्य में जुटी वायुसेना
बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए वायुसेना ने भी राहत कार्य शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राहत कार्यों को तेजी से अंजाम दिया जाए। दरभंगा और सीतामढ़ी जिलों में वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री और आवश्यक वस्तुएं गिराई जा रही हैं।
राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन के तहत न सिर्फ राहत शिविरों की व्यवस्था की है, बल्कि हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए नावों की भी तैनाती की गई है। प्रशासनिक अधिकारियों को लगातार प्रभावित क्षेत्रों में कैंप करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि राहत कार्यों की निगरानी की जा सके और समय पर मदद पहुंचाई जा सके।
सरकार की सख्ती और राहत राशि जारी
बिहार सरकार ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग में दो वरिष्ठ अधिकारियों को विशेष पदों पर तैनात किया है। वहीं, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से बिहार और अन्य प्रभावित राज्यों के लिए 5,858 करोड़ रुपये की अग्रिम सहायता जारी की है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार बाढ़ से प्रभावित सभी राज्यों के साथ खड़ी है और जल्द ही केंद्रीय टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी। बिहार को इस सहायता के तहत 656 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जिससे राज्य के 19 जिलों में राहत कार्यों को अंजाम दिया जा सकेगा।
नदियों का उफान और प्रभावित क्षेत्र
उत्तर बिहार की गंडक, बागमती, कोसी और कमला बलान नदियां इस समय खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बाढ़ की स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले सुपौल, सहरसा, दरभंगा, और सीतामढ़ी हैं। यहां हजारों लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। प्रशासन द्वारा लगातार नावों और राहत सामग्रियों की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए स्थिति को सामान्य करने में अभी काफी समय लग सकता है।
बाढ़ से हुई मौतें और नुकसान का आकलन
बाढ़ के कारण कई जिलों में जनहानि भी हो चुकी है। पिछले दो दिनों में बाढ़ के पानी में डूबने से छह लोगों की मौत हो गई है, जिनमें सुपौल, सहरसा और कटिहार जिले शामिल हैं। साथ ही, कई मकान तटबंध टूटने के कारण गिर गए, जिससे एक व्यक्ति की भी मौत हो गई। इस प्राकृतिक आपदा से लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के लोग हैं, जो पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं।
भविष्य की चुनौतियां और समाधान
बिहार हर साल बाढ़ की समस्या से जूझता है, लेकिन इस साल की स्थिति कुछ अधिक गंभीर है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन लंबी अवधि के समाधान की आवश्यकता है। तटबंधों की मरम्मत और नदियों की सफाई जैसे दीर्घकालिक उपायों पर ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचा जा सके। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बाढ़ से निपटने के लिए जागरूक किया जाना जरूरी है, जिससे समय पर राहत कार्यों में मदद मिल सके।
बिहार की बाढ़ की स्थिति न सिर्फ राज्य बल्कि देश के लिए भी एक गंभीर समस्या है। हर साल यह प्राकृतिक आपदा लाखों लोगों की जिंदगी पर असर डालती है। सरकार और प्रशासन द्वारा किए जा रहे राहत प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढना वक्त की मांग है। जब तक नदियों का प्रबंधन और तटबंधों की मजबूती पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक यह समस्या हर साल इसी तरह विकराल रूप लेती रहेगी।
चित्र – काल्पनिक