वैश्विक स्वास्थ्य संकट के बीच, हैजा जैसी बीमारियों की पुनरावृत्ति एक गंभीर चेतावनी के रूप में सामने आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में हैजा के मामलों में 13% की वृद्धि और मौतों में 71% की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इस महामारी के प्रकोप ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या दुनिया इस तरह की बीमारियों के खिलाफ पर्याप्त तैयार है?
2023 में हैजा का भयावह आंकड़ा
हैजा, जो दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है, 2023 में वैश्विक स्तर पर तेज़ी से बढ़ा है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 45 देशों ने हैजा के मामलों की सूचना दी, जबकि 2022 में 44 देशों और 2021 में 35 देशों में ही मामले सामने आए थे। यह बढ़ते हुए प्रकोप का संकेत है, खासकर अफ्रीका और एशिया के देशों में, जहां इस बीमारी ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि इस बीमारी से होने वाली 4,000 से अधिक मौतों को समय पर इलाज से रोका जा सकता था। यह आंकड़ा न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की विफलता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति लापरवाही का भी संकेत देता है। अफ्रीका, विशेष रूप से इथियोपिया, मोज़ाम्बिक और हैती जैसे देशों में हालात अत्यंत गंभीर बने हुए हैं, जहां इलाज की पहुंच बेहद सीमित है।
क्यों बढ़ रहे हैं हैजा के मामले?
हैजा के मामलों में अचानक आई वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में जलवायु परिवर्तन, खराब स्वच्छता व्यवस्थाएं, गरीबी और युद्ध जैसी स्थितियां शामिल हैं। कई क्षेत्रों में स्वच्छ पानी की भारी कमी और दूषित पानी का उपयोग इस बीमारी के फैलने का मुख्य कारण है। अफ्रीका के कई देशों में जल संकट और स्वच्छता की कमी ने हैजा को और भयानक बना दिया है।
कई देशों में संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो गई हैं, जिससे बीमारी तेजी से फैल रही है। मोज़ाम्बिक और हैती जैसे देशों में हालात बेहद खराब हो चुके हैं, जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
इलाज में देरी से बढ़ती मौतें
WHO की रिपोर्ट ने हैजा से संबंधित एक और गंभीर तथ्य उजागर किया है – इलाज में देरी के कारण अधिकांश मौतें हुईं। कई देशों में, खासकर अफ्रीका और मध्य एशिया के क्षेत्रों में, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग समय पर इलाज नहीं पा सके। इसके चलते बीमारी ने जानलेवा रूप ले लिया।
अफगानिस्तान, कांगो और मलावी जैसे देशों में संदिग्ध या पुष्ट मामलों की संख्या 10,000 से अधिक हो गई है। यहां पर चिकित्सा सेवाओं की कमी और अव्यवस्था ने मौतों की संख्या को और अधिक बढ़ा दिया है। रिपोर्ट बताती है कि कई देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं के बावजूद, हैजा के कारण सामुदायिक मौतों की सूचना दी गई है।
2024: संकट का विस्तार
प्रारंभिक आंकड़ों से संकेत मिलता है कि हैजा का यह संकट 2024 तक भी जारी रह सकता है। फिलहाल, 22 देशों में हैजा का सक्रिय प्रकोप जारी है, और 2024 में अब तक रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कम है। फिर भी, 22 अगस्त तक 342,800 मामले और 2,400 मौतें रिपोर्ट की जा चुकी हैं, जो यह दर्शाता है कि हालात अभी भी नियंत्रण में नहीं हैं।
दूषित पानी और भोजन बना कारण
हैजा का प्रकोप मुख्य रूप से दूषित पानी और भोजन से फैलता है। यह एक तीव्र आंतों का संक्रमण है, जो गरीब और संघर्षग्रस्त इलाकों में तेजी से फैलता है। अफ्रीका के कई हिस्सों में जल संकट, संघर्ष, और स्वच्छता की कमी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, हैजा के मामलों में वृद्धि का कारण न केवल जलवायु परिवर्तन, बल्कि गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी है।
समाधान
हैजा की पुनरावृत्ति और उससे होने वाली मौतें यह स्पष्ट करती हैं कि दुनिया को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। बेहतर स्वच्छता व्यवस्था, स्वच्छ पानी की उपलब्धता और चिकित्सा सेवाओं तक आसान पहुंच ही इस बीमारी से लड़ने का एकमात्र समाधान है।
सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस दिशा में मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि अफ्रीका और एशिया के गरीब देशों में स्वच्छ जल और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर जागरूकता और शिक्षा अभियानों की भी आवश्यकता है, ताकि लोग स्वयं भी इस बीमारी से बचाव के उपायों को अपना सकें।
स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए, यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हैजा जैसे संक्रामक रोगों के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता दे। यदि सही कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह संकट और भी गंभीर हो सकता है।
Source-amar uajla