चांग’ई-5 के नमूनों से चांद और शुक्र पर ज्वालामुखी गतिविधियों का खुलासा

saurabh pandey
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चीन के चांग’ई-5 मिशन द्वारा चांद से लाए गए मिट्टी के नमूनों से वैज्ञानिकों ने चांद और शुक्र पर ज्वालामुखी गतिविधियों के बारे में नई जानकारियां हासिल की हैं। नमूनों के विश्लेषण से यह पता चला है कि चांद पर करीब 120 मिलियन साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट होते थे, और शुक्र पर ज्वालामुखी गतिविधियां अभी भी जारी हैं।

चांग’ई-5 मिशन के तहत दिसंबर 2020 में चांद से 1,731 ग्राम नमूने पृथ्वी पर लाए गए थे, जिनमें लगभग 3,000 कांच के मोती भी मिले हैं। चीनी विज्ञान अकादमी के प्रोफेसर युयांग के अनुसार, इन नमूनों में चांद पर प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधियों के साक्ष्य पाए गए हैं। खासकर, ओशनस प्रोसेलरम क्षेत्र में मिली मिट्टी में मौजूद लावा दो अरब साल पुराना है, जो इस क्षेत्र में ज्वालामुखी गतिविधियों का प्रमाण देता है।

इस अध्ययन ने यह भी दिखाया है कि चांद की सतह पर हाल ही में भी ज्वालामुखीय गतिविधियां हुई हैं, हालांकि ये गतिविधियां करीब 2 अरब साल पहले बंद हो गई थीं। दूसरी ओर, शुक्र पर ज्वालामुखी अभी भी सक्रिय होने के साक्ष्य सामने आए हैं, जो इसके वातावरण और सतह पर लगातार बदलाव का संकेत देते हैं।

नमूनों की खोज और विश्लेषण

चांग’ई-5 मिशन के दौरान मिले कांच के मोतियों की संरचना और ट्रेस-तत्वों का विश्लेषण करके तीन ज्वालामुखीय संरचनाओं की पहचान की गई है। इन ज्वालामुखीय गतिविधियों ने न केवल चांद की सतह को प्रभावित किया है, बल्कि वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह और अन्य ग्रहों पर भी ज्वालामुखीय प्रक्रियाओं को समझने में मदद की है।

चीन के चांग’ई-5 मिशन द्वारा लाए गए नमूनों से चांद और शुक्र की ज्वालामुखीय गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। चांद पर ज्वालामुखी विस्फोटों का इतिहास और शुक्र पर जारी ज्वालामुखीय गतिविधियों के संकेत इन ग्रहों के भूवैज्ञानिक विकास को समझने में मदद करेंगे। यह शोध भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और ग्रहों की सतहों के अन्वेषण में नई संभावनाओं को उजागर करता है।

चीन के चांग’ई-5 मिशन से मिले नमूनों ने चांद पर ज्वालामुखीय गतिविधियों और शुक्र पर अभी भी सक्रिय ज्वालामुखियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। इन नमूनों से पता चला है कि चांद पर लगभग 2 अरब साल पहले तक ज्वालामुखी सक्रिय थे, और शुक्र पर यह गतिविधियां अब भी जारी हैं। यह खोज न केवल चांद और शुक्र की भूवैज्ञानिक संरचना को समझने में मदद करती है, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में नए अध्याय खोलने की क्षमता भी रखती है। इन निष्कर्षों से वैज्ञानिक भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए नई रणनीतियां विकसित कर सकते हैं।

Source- amar ujala

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