कवितायेँ

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बस-ट्रेन ही नहीं

बस-ट्रेन ही नहींयहाँ धर्म स्थलऔर नदियाँओवर लोड हो रही हैभीड़ के दबाव…

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अलमारी में पेड़ों की लाश भरी है।

अलमारी में पेड़ों की लाश भरी है।बिस्तर ,दरवाजे ,खिड़कियों,पर्दों, कपड़े, जूतेसब इन…

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गंगा वार्तालाप

गंगा तुम्हारी नगरी में लगी हुई है भीड़नगरी नगरी न रही कहते…

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ग़ज़ल

अंदाज़ सुबह का ज़रा है हट के,हर शख्स भीड़ लापता सा देखा।…

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लिखना है?

तो लिखो उस कुतिया की आँखों के बारे में जिसके पिल्ले का…

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मैं स्त्री हूँ

मैं स्त्री हूँमुझे ऐसे ही जानोपृथ्वी और मेरी तुलना नही है प्रगति…

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