छठ पूजा के नजदीक आते ही यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ने लगी हैं। इस बीच, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने गुरुवार सुबह यमुना में डुबकी लगाकर अपना विरोध जताया। हालांकि, यह प्रदर्शन उनके लिए स्वास्थ्य संकट का कारण बन गया। डुबकी लगाने के बाद सचदेवा को त्वचा में जलन, खुजली और सांस लेने में दिक्कत होने लगी, जिसके चलते उन्हें आरएमएल अस्पताल जाना पड़ा। डॉक्टरों ने उनकी जांच की और आवश्यक दवा दी।
सचदेवा ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले यमुना को साफ करने का वादा किया था। उनके अनुसार, इसके लिए उन्हें और मुख्यमंत्री आतिशी को आमंत्रित किया गया था, लेकिन दोनों में से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। सचदेवा का आरोप है कि इस कार्य के लिए मिले फंड का दुरुपयोग किया गया है, जिससे यमुना की स्थिति और भी बिगड़ गई है।
बुजुर्गों को पेंशन न देने का भाजपा का आरोप
इस बीच, भाजपा ने दिल्ली सरकार पर बुजुर्गों को पेंशन न देने का आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि करीब पांच लाख बुजुर्गों के पेंशन आवेदन पिछले सात साल से लंबित हैं, जबकि सभी को पेंशन मिलनी चाहिए। भाजपा विधायकों ने इस मुद्दे को लेकर राजघाट के बाहर धरना दिया। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “मुख्यमंत्री आवास पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन बुजुर्गों को पेंशन नहीं दी जा रही है।”
सचदेवा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के माध्यम से केजरीवाल से अपील की कि उन्हें 2020 के चुनावों के दौरान दिल्ली की जनता से किए गए वादे के अनुसार यमुना में डुबकी लगानी चाहिए।
आप का जवाब: सिर्फ ड्रामा और झूठे आरोप
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि भाजपा केवल ड्रामा कर रही है और झूठे आरोप लगा रही है। आप के प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा के पदाधिकारी यमुना की पुरानी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। उनका आरोप है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश से अनुपचारित औद्योगिक कचरा यमुना में डालने का कार्य किया जा रहा है।
यमुना नदी का प्रदूषण: चिंता का विषय
यमुना नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, और इससे न केवल पर्यावरण बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। यह मुद्दा अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन चुका है, जिसमें विभिन्न पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
छठ पूजा के अवसर पर यमुना में स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी इस प्रदूषण का सामना करना पड़ सकता है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। अब देखना यह है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे का समाधान कैसे करती है और प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाती है।
यमुना नदी का प्रदूषण एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है, जिसमें राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। भाजपा और आप के बीच का यह आरोप-प्रत्यारोप न केवल राजनीतिक मंच पर बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। यमुना की सफाई के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक साफ-सुथरी नदी की कल्पना की जा सके।