भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन ने यह दर्शाया है कि ओकोफिला वंश की चींटियों की मौजूदगी पर्वतों के मध्य हिस्सों में रहने वाले पक्षियों की विविधता को प्रभावित कर रही है। यह अध्ययन भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के पारिस्थितिकी विज्ञान केंद्र (सीईएस) से संबंधित है और इसके निष्कर्ष जर्नल इकोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित हुए हैं।
पर्वतों की जैव विविधता
धरती की सतह पर पर्वत केवल 25 फीसदी क्षेत्र को कवर करते हैं, लेकिन ये 85 फीसदी से अधिक उभयचरों, पक्षियों और स्तनधारी जीवों का निवास स्थान हैं। इसका मतलब यह है कि ये पर्वत जैव विविधता के महत्वपूर्ण केंद्र हैं, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। उच्च ऊंचाई पर स्थित ये पारिस्थितिकीय तंत्र विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं और मौसम, जलवायु, और ऊंचाई जैसे कारक इनकी विविधता को प्रभावित करते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष
इस अध्ययन में पाया गया कि पर्वतों के मध्य हिस्सों में ओकोफिला चींटियों की मौजूदगी पक्षियों की विविधता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। प्रोफेसर कार्तिक शंकर ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “पहाड़ों में, आप अक्सर प्रजातियों की विविधता का एक पैटर्न देखते हैं, जहां मध्य क्षेत्रों में अधिक प्रजातियां होती हैं। यह प्रश्न हमेशा से लोगों के लिए पहेली रहा है कि ऐसा क्यों है। अक्सर लोग यह नहीं समझते कि जीवित जीव कैसे परस्पर क्रिया और प्रतिस्पर्धा करते हैं।”
जीवों के बीच प्रतिस्पर्धा
ओकोफिला चींटियों का प्रमुखता से उपस्थित होना इस बात का संकेत है कि इन चींटियों और पक्षियों के बीच प्रतिस्पर्धा हो सकती है। जब एक विशेष प्रजाति का दबदबा बढ़ता है, तो यह अन्य प्रजातियों की उपस्थिति को प्रभावित कर सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार छोटे जीवों की मौजूदगी बड़े जीवों की आबादी और विविधता पर प्रभाव डाल सकती है।
जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र
जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों ने पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। तापमान में वृद्धि और अन्य जलवायु कारक विभिन्न प्रजातियों की ऊंचाई पर वितरण को भी प्रभावित कर सकते हैं। इससे यह संभव है कि कुछ पक्षी प्रजातियाँ अधिक ऊँचाई की ओर स्थानांतरित हो रही हैं, जो उनके लिए सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं।
संरक्षण की आवश्यकता
इस अध्ययन के निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि हमें पर्वतीय क्षेत्रों में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए ओकोफिला चींटियों और अन्य छोटे जीवों की भूमिका को समझने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इन पारिस्थितिकीय तंत्रों का संरक्षण करें और जैव विविधता के संरक्षण में सहयोग करें।
संक्षेप में, भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में जैव विविधता की रक्षा करना केवल बड़े जीवों के संरक्षण का मामला नहीं है, बल्कि इसमें छोटे जीवों, जैसे ओकोफिला चींटियों, की भूमिका को भी समझना आवश्यक है। जब हम पारिस्थितिकी तंत्र के जटिल तंत्र को समझेंगे, तभी हम इसकी रक्षा करने में सफल हो पाएंगे। यह अध्ययन हमें यह याद दिलाता है कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए सभी जीवों की परस्पर क्रिया और प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखना आवश्यक है।