चीन के चांग’ई-6 मिशन से चांद के दूर के हिस्से से लाए गए मिट्टी के नमूनों ने वैज्ञानिकों को कई नए और अनूठे तथ्य प्रदान किए हैं। ये नमूने पिछले मिशनों, जैसे अपोलो और चांग’ई-5 से प्राप्त नमूनों की तुलना में खासे अलग हैं। अध्ययन के अनुसार, इन नमूनों में थोरियम, यूरेनियम और पोटेशियम जैसे तत्वों की सांद्रता काफी भिन्न पाई गई है। इसके साथ ही, इन नमूनों का घनत्व भी कम पाया गया, जो कि अधिक छिद्रपूर्ण और ढीली संरचना का संकेत देता है।
महत्वपूर्ण खोज
चांग’ई-6 द्वारा लाए गए नमूनों में प्लेगियोक्लेज़ की मात्रा अधिक और ओलिवाइन की मात्रा कम पाई गई। ये लिथिक टुकड़े मुख्य रूप से बेसाल्ट, ब्रेशिया, एग्लूटिनेट, ग्लास और ल्यूकोक्रीट से बने हैं। वैज्ञानिकों ने इस भू-रासायनिक विश्लेषण के आधार पर बताया कि इन नमूनों की संरचना चंद्रमा के अन्य हिस्सों से प्राप्त नमूनों की तुलना में काफी अलग है।
चांद पर पानी की खोज
इसके अलावा, चीन के चांग’ई-5 मिशन द्वारा लाए गए नमूनों में चीनी वैज्ञानिकों ने आणविक जल से समृद्ध हाइड्रेटेड खनिज की खोज की है। इस खोज से यह पुष्टि हुई है कि चांद पर पानी के अणु भी मौजूद हैं।
चांग’ई-6 मिशन का महत्व
यह मिशन चांद के दूर के हिस्से से नमूने लाने वाला पहला प्रयास था, जिसमें 1,935.3 ग्राम चंद्र मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाए गए। इन नमूनों का अध्ययन चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA), चीनी विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों द्वारा किया गया है। यह मिशन चंद्र अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य के मानव चंद्र अभियानों के लिए नई दिशा दिखाता है।
चीन का यह मिशन चंद्रमा की संरचना और उसकी भू-रासायनिक विशेषताओं को समझने में अहम योगदान दे रहा है।
चीन के चांग’ई-6 मिशन से प्राप्त चांद की मिट्टी के नमूने वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनमें मौजूद थोरियम, यूरेनियम, और पोटेशियम जैसे तत्व, साथ ही इनकी छिद्रपूर्ण और ढीली संरचना, पिछले मिशनों से काफी अलग है। इन नमूनों के विश्लेषण से चंद्रमा की भू-रासायनिक संरचना को समझने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिससे चांद के अनछुए हिस्सों की जानकारी प्राप्त हुई है। साथ ही, इस मिशन ने चांद पर पानी की उपस्थिति को लेकर नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं, जो भविष्य के चंद्र अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
Source- dainik jagran