ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (एएनयू) के वैज्ञानिकों ने पहली बार पृथ्वी के केंद्र में एक रहस्यमय वलय के आकार की आकृति का पता लगाया है। यह क्षेत्र पृथ्वी के तरल कोर के भीतर स्थित है और यह हमारे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र की गतिशीलता के बारे में नए रहस्यों को उजागर करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह गोलाकार क्षेत्र भूमध्य रेखा के समानांतर है और पृथ्वी के तरल कोर के भीतर केवल निम्न अक्षांशों पर पाया जाता है।
अनुसंधान और खोज:
साइंस एडवांस में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की दो कोर परतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। नई खोज में वलय के आकार का क्षेत्र पृथ्वी के बाहरी कोर के ऊपर स्थित पाया गया है। शोध दल ने बड़े भूकंपों से उत्पन्न तरंगों का विश्लेषण किया, जो इस वलयाकार क्षेत्र की पहचान में सहायक साबित हुईं।
एएनयू के भूभौतिकीविद् प्रोफेसर हावोजे तक्लसिक ने बताया कि भूकंपीय तरंगें जब पृथ्वी से होकर गुजरती हैं, तो वे इसकी आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं। शोधकर्ताओं ने भूकंपीय तरंगों के मार्ग और उनके गुजरने के समय पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे वे पृथ्वी के बाहरी कोर के माध्यम से तरंगों की यात्रा का पुनर्निर्माण कर सके।
नवीनतम शोध का महत्व:
इस नई खोज से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के कोर की संरचना और उसकी गतिशीलता के बारे में नई समझ प्राप्त हुई है। वलयाकार आकृति का पता लगाना पृथ्वी के आंतरिक भागों की बेहतर समझ के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अध्ययन पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और भूगर्भीय गतिविधियों के बारे में नए तथ्य उजागर करने में सहायक हो सकता है, जो भविष्य में पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
अब वैज्ञानिक इस नए वलय के आकार की आकृति की विस्तृत जांच और विश्लेषण करने की योजना बना रहे हैं, ताकि इसके प्रभावों और संभावित महत्व को पूरी तरह से समझा जा सके। यह खोज पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझने में एक नई दिशा प्रदान करती है और भविष्य में भूगर्भीय और भौगोलिक अनुसंधान के लिए एक ठोस आधार तैयार करती है।
पृथ्वी के केंद्र में पहली बार देखे गए वलयाकार क्षेत्र ने हमारे ग्रह की आंतरिक संरचना के अध्ययन में एक नई दिशा को उजागर किया है। ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस खोज ने पृथ्वी के तरल कोर के भीतर के रहस्यों को समझने में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वलयाकार आकृति, जो भूमध्य रेखा के समानांतर स्थित है, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और कोर की गतिशीलता के बारे में नई जानकारी प्रदान करती है।
इस अध्ययन से भूकंपीय तरंगों के विश्लेषण के माध्यम से पृथ्वी के बाहरी कोर के बारे में मूल्यवान डेटा प्राप्त हुआ है, जो भूगर्भीय और भौगोलिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण आधार तैयार करता है। भविष्य में इस खोज पर आधारित शोध पृथ्वी की आंतरिक संरचना की गहराई से समझ को बढ़ा सकता है और पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यह खोज न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए, बल्कि पृथ्वी के पर्यावरण और भूगर्भीय गतिविधियों के बारे में व्यापक समझ के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
Source- अमर उजाला