मंत्र जाप, प्राणायाम, और धार्मिक अनुष्ठान आदि के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। विश्वास और मनोबल से भरी इन प्रक्रियाओं के प्रभाव को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोणों से समझा जा सकता है। यह सिद्धांत कि “जैसा सोचते हैं, वैसा ही होने लगता है,” न केवल भारतीय परंपराओं में, बल्कि आधुनिक मनोविज्ञान में भी मान्यता प्राप्त है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि : हनुमानजी का जाप वीरता और साहस का प्रतीक है। जब व्यक्ति वीरभाव के साथ हनुमानजी का जाप करता है, तो उसका आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
शत्रुओं पर विजय:
बगुलामुखी का मंत्र शत्रुओं पर विजय पाने और नकारात्मक शक्तियों को नियंत्रित करने का साधन है।अद्भुत संकल्प शक्ति नवरात्रि में प्राप्त होना मंत्र प्रभाव ही है, ये बात संतति और बुद्धि वादियों को समझाना शेर के मुख मे शीश देने समान है!
दुर्गति नाश:
दुर्गा का जाप कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह व्यक्ति को मजबूत और दृढ़ बनाता है।
संतान प्राप्ति: गणेश का जाप संतान प्राप्ति और समृद्धि के लिए किया जाता है।
सद्भावना और धन्यवाद: गायत्री मंत्र सद्भावना और मानसिक शुद्धि के लिए जाना जाता है। भोजन से पहले धन्यवाद का मंत्र भोजन की अहमियत और उसकी पवित्रता को स्वीकार करता है।
पश्चिमी दृष्टिकोण
डेल कार्नेगी और सकारात्मक सोच: डेल कार्नेगी और अन्य विदेशी लेखकों ने भी सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास की महत्ता पर जोर दिया है। उनकी पुस्तकें यह सिखाती हैं कि सकारात्मक विचार और आत्मविश्वास जीवन को बदल सकते हैं।
मनोविज्ञान: आधुनिक मनोविज्ञान में भी यह मान्यता है कि व्यक्ति का दृष्टिकोण और विश्वास उसके जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। “सेल्फ-फुलफिलिंग प्रॉफ़ेसी” (Self-fulfilling prophecy) का सिद्धांत इसी विचार पर आधारित है।
प्राणायाम और संध्या मंत्रप्राणायाम: प्राणायाम से श्वास नियंत्रण, मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।ये बात फीस देकर योग सेंटर जा कर समझ आये तो हँसी तो आती ही है!
संध्या मंत्र: संध्या के समय मंत्र जाप और ध्यान मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है।बचपन से ही पिता जी ने नाक के श्वास के साथ चंद्र और सूर्य नाड़ी का रहस्य समझाया था!
सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार से शरीर का लचीलापन बढ़ता है, ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति मिलती है।योग रूप में पूरे विश्व में सूर्य नमस्कार को मान्यता प्राप्त हुई है इसे कोई नकार न सकता मेरी विदेशी मित्र आश्चर्य मे पड़ जाती है जब उन्हें पता चला कि भारत से सभी योग नहीं कर पाते!
व्रत और शुद्धताव्रत: व्रत से शारीरिक शुद्धता, मानसिक नियंत्रण और आत्मसंयम में वृद्धि होती है।आज की नशे और आरामपरस्त पीढ़ी को किस तरह समझाये पर सच है कि जिसे मिले यूँ वह करे क्यूँ! उपदेश मत दीजिए इत्यादि वाक्यों का श्रवण अभ्यास सभी को प्राप्त है!
स्नान मंत्र : नियमित और शुद्धता से किया गया स्नान शारीरिक स्वच्छता और मानसिक ताजगी प्रदान करता है।इसके लिए कह सुन कर नहीं कर के देखना ही पर्याप्त होगा मंत्र संस्कृत में होते हैं जिनका अनुवाद कर अब instagram पर रील ही बनाना सही रहेगा!
मंत्र प्रभाव: शुद्धता और अनुशासन के साथ मंत्र जाप करने से उसका प्रभाव अधिक होता है।
तामसिक आहार और जीवनशैली
मांसाहार और तामसिक भोजन: धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान तामसिक भोजन (मांसाहार, शराब आदि) से बचना चाहिए क्योंकि यह मन और शरीर को भारी और सुस्त बना सकता है।
पर आजकल आक्रमणकारी समर्थकों की भीड़ देखकर काने को काना कह कर आँख न फुडवाई जा सकती, खाइये और क्रूर मनोभावना विकसित कीजिये!
सात्विक जीवनशैली:
सात्विक भोजन और जीवनशैली मन को शुद्ध और शरीर को स्वस्थ रखती है।
इन सभी प्रक्रियाओं का एक सामान्य लक्ष्य होता है: मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शुद्धता और संतुलन प्राप्त करना। चाहे वह मंत्र जाप हो, प्राणायाम हो, या व्रत हो, सभी का उद्देश्य व्यक्ति को एक सकारात्मक, संतुलित और संतुष्ट जीवन की ओर अग्रसर करना है।पर य़ह कटु सत्य है कि आधुनिक शैली में सनातन परंपराओं का उपहास उड़ाया जाता है रोटी माखन ठुकरा कर जीव हत्या के व्यंजन प्रमुखता पाते हैं सब कुछ tested and tried है तब ही लिख सकीं हूँ मेरा काम है लेखन जो निरन्तरता से गंगा के पानी की तरह बहता रहे और पानी की निरन्तरता से ही शिला रेत बन जाती है! एक गाना होठों पर गश्त लगा कर कुछ संकेत कर रहा है – “हम बोलेगे तो बोलोगे कि बोलता है! ”
मेनका त्रिपाठी (संयोजिका प्रकृति वादी लेखक संघ उत्तराखण्ड इकाई)
हरिद्वार
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saurabh pandey