खगोलविदों ने खोजी सबसे पुरानी और दूर की आकाशगंगा

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न्यूयॉर्क। खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) का उपयोग करके अब तक खोजी गई सबसे पुरानी और सबसे दूर की आकाशगंगा की पहचान की है। एडवांस्ड डीप एक्स्ट्रागैलेक्टिक सर्वे (JADES) टीम द्वारा पिछले महीने खोजी गई यह आकाशगंगा प्रारंभिक ब्रह्मांड के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रही है। इस नई आकाशगंगा का नाम JDS-GS-z14-0 रखा गया है।

दरअसल, JWST ने दो साल पहले काम करना शुरू किया था। खगोलविद इसका उपयोग लाखों साल पहले की घटनाओं का अध्ययन करने के लिए करते हैं। यह ब्रह्मांडीय भोर कहे जाने वाले उस क्षण को देखने का एक प्रयास है, जब पहले तारे और आकाशगंगाएँ बनी थीं।

इटली के पीसा में स्कूओला नॉर्मले सुपीरियर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टेफानो कार्नियानी और उनके सहयोगियों ने दूरबीनों का उपयोग करके अपने अध्ययन में पाया कि ZS-GS-z14-0 आकाशगंगा से 15 गुना दूर तक फैल गया है। इसका मतलब है कि इसका प्रकाश अंतरिक्ष में 13.5 अरब वर्ष की यात्रा करने के बाद हम तक पहुंचा है, क्योंकि ब्रह्मांड की आयु लगभग 13.8 अरब वर्ष होने का अनुमान है। यह दर्शाता है कि प्रकाश सितारों से आ रहा है न कि किसी ब्लैक होल से। 15 गुना तक फैलने वाला प्रकाश विस्तारित ब्रह्मांड का प्रकाश है।

सबसे पुरानी आकाशगंगा केले के आकार की है

यह केले के आकार के रंगीन धब्बे की तरह दिखती है और इसका व्यास (चौड़ाई) 1,600 प्रकाश वर्ष है। इसका मतलब है कि अगर कोई इस आकाशगंगा से प्रकाश वर्ष की गति से यात्रा करता है, तो उसे इसके एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने में 1,600 प्रकाश वर्ष लगेंगे। जब बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड सिर्फ़ 290 मिलियन वर्ष पुराना था, यानी यह अपने अपेक्षाकृत शुरुआती चरण में था, तब भी यह आकाशगंगा पहले से ही बेहद चमकीले तारों की रोशनी से चमक रही थी।

JWST के माध्यम से इस तरह की आकाशगंगाओं की खोज से खगोलविदों को प्रारंभिक ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में मदद मिल रही है, और यह अध्ययन खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

आकाशगंगा किसे कहते हैं?

आकाशगंगा (Galaxy) ब्रह्मांड में पाई जाने वाली विशालकाय संरचनाएं हैं, जो गैस, धूल, और अरबों तारों सहित तारकीय अवशेषों और डार्क मैटर से बनी होती हैं। ये विशालकाय संरचनाएं गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा एक साथ बंधी रहती हैं।

मुख्य तत्व:

तारे: आकाशगंगाओं में अरबों तारे होते हैं, जिनमें हमारे सूर्य जैसे कई तारे शामिल हैं।

गैस और धूल: आकाशगंगाओं में गैस और धूल के विशाल बादल होते हैं, जो नए तारों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डार्क मैटर: डार्क मैटर, जो कि अदृश्य होता है, आकाशगंगा के कुल द्रव्यमान का एक बड़ा हिस्सा बनाता है।

ब्लैक होल: आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल हो सकते हैं, जिनका द्रव्यमान लाखों से अरबों सौर द्रव्यमान के बराबर हो सकता है।

प्रकार:

सर्पिल आकाशगंगा (Spiral Galaxies): ये आकाशगंगाएं सर्पिल भुजाओं के साथ एक चपटे, गोलाकार डिस्क के आकार की होती हैं। उदाहरण के लिए, हमारी अपनी आकाशगंगा, मिल्की वे (दूधिया मार्ग)।

दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगा (Elliptical Galaxies): ये आकाशगंगाएं अंडाकार या गोलाकार आकार की होती हैं और इनमें नए तारों का निर्माण बहुत कम होता है।

अनियमित आकाशगंगा (Irregular Galaxies): इनका कोई विशिष्ट आकार नहीं होता और ये अक्सर अराजक दिखती हैं।

उदाहरण:

मिल्की वे (Milky Way): हमारी आकाशगंगा, जिसमें हमारा सौर मंडल स्थित है। यह एक सर्पिल आकाशगंगा है।

एंड्रोमेडा (Andromeda): मिल्की वे के सबसे नजदीकी बड़ी आकाशगंगा, जो कि एक सर्पिल आकाशगंगा भी है।

महत्व:

आकाशगंगाएं ब्रह्मांड में सितारों, ग्रहों और अन्य खगोलीय वस्तुओं के समूह हैं। इनका अध्ययन हमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विकास और संरचना को समझने में मदद करता है। आकाशगंगाओं की खोज और अध्ययन खगोलविदों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिससे वे ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर कर सकते हैं।

सौरभ पाण्डेय

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Source- न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस/ अमर उजाला

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