सूक्ष्म शैवाल की नई प्रजाति की खोज: ऑक्सीजन का बढ़ा स्रोत

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भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पूर्वी घाट क्षेत्र में सूक्ष्म शैवाल की एक नई प्रजाति की खोज की है। इस प्रजाति की खोज अगरकर अनुसंधान संस्थान, सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और कोलोराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने की है। इसका शोध अध्ययन फ़ायकोलोजिया पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

नई प्रजाति का नाम इंडिकोनेमा

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रजाति भारत के कुछ खास क्षेत्रों तक ही सीमित है। इसी को महत्व देते हुए इस प्रजाति का नाम इंडिकोनेमा रखा गया है। यह प्रजाति ताजे पानी में पाई गई है और डायटम प्रजाति गोम्फोनोमॉइड समूह से संबंधित है। डायटम एक प्रकार के सूक्ष्म शैवाल होते हैं जो जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने में जैविक प्रॉक्सी के रूप में भी उपयोग किए जाते हैं।

डायटम की विशेषताएँ और भूमिका

डायटम सूक्ष्मजीव होते हैं जिन्हें आँखों से नहीं देखा जा सकता। ये एककोशिकीय पारदर्शी संरचनाएं हैं जो शैवाल से संबंधित होती हैं, लेकिन इनमें कई विशेषताएं होती हैं जो इन्हें इस समूह के अन्य शैवाल सदस्यों से अलग करती हैं। इनकी कोशिका भित्ति ओपलीन सिलिका से बनी होती है और सिलिका के जटिल और आकर्षक पैटर्न से सजी होती है।

ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका

डायटम सूक्ष्मजीव अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये मनुष्य की हर चौथी सांस के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसका मतलब है कि ये दुनिया की 25 प्रतिशत ऑक्सीजन के उत्पादन में भूमिका निभाते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण की मदद से वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए जाने जाते हैं और इसे समुद्र के आंतरिक वातावरण से दूर रखते हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड नियंत्रण

डायटम जैविक कार्बन पंप के रूप में भी काम करते हैं और सालाना लगभग 1000 से 2000 मिलियन टन अकार्बनिक कार्बन को खत्म करते हैं। इनकी खोज और अध्ययन से हमें पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

इस नई प्रजाति की खोज से वैज्ञानिकों को ऑक्सीजन उत्पादन और कार्बन डाइऑक्साइड नियंत्रण के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। यह खोज पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

शैवाल (Algae) क्या होता है ?

शैवाल (Algae) एक प्रकार का सरल, पौधों जैसा जीव है जो पानी, नमी वाली सतहों, या जलमग्न स्थितियों में पाया जाता है। ये जीव मुख्यतः प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से अपनी ऊर्जा प्राप्त करते हैं और विभिन्न रंगों, आकारों और प्रकारों में आते हैं। शैवाल को प्रमुख रूप से निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है:

हरित शैवाल (Green Algae): ये शैवाल हरे रंग के होते हैं और इनमें क्लोरोफिल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इनका उपयोग जैव ईंधन और पोषण सप्लीमेंट्स के उत्पादन में किया जाता है।

नील-हरित शैवाल (Blue-Green Algae or Cyanobacteria): ये शैवाल नीले-हरे रंग के होते हैं और इन्हें साइनोबैक्टीरिया भी कहा जाता है। ये नाइट्रोजन स्थिरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लाल शैवाल (Red Algae): ये शैवाल लाल रंग के होते हैं और इनमें एक विशेष प्रकार का पिगमेंट पाया जाता है जो इन्हें गहरे पानी में भी प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम बनाता है।

भूरे शैवाल (Brown Algae): ये शैवाल समुद्री होते हैं और इनमें फ्यूकोक्सैंथिन पिगमेंट पाया जाता है। इनका उपयोग खाद्य पदार्थों और औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है।

डायटम (Diatoms): ये एककोशिकीय शैवाल होते हैं जिनकी कोशिका भित्ति सिलिका की बनी होती है। ये पारदर्शी होते हैं और जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने में उपयोग किए जाते हैं।

शैवाल के फायदे

ऑक्सीजन उत्पादन: शैवाल प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं, जिससे पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मदद मिलती है।

पोषक तत्वों का स्रोत: शैवाल विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों का समृद्ध स्रोत होते हैं। कई शैवाल खाद्य पदार्थों और पोषण सप्लीमेंट्स में उपयोग किए जाते हैं।

जैव ईंधन: कुछ प्रकार के शैवाल का उपयोग जैव ईंधन के उत्पादन में किया जाता है, जो पारंपरिक ईंधनों का पर्यावरणीय अनुकूल विकल्प हो सकता है।

पानी का शोधन: शैवाल का उपयोग जल शोधन प्रक्रियाओं में किया जाता है क्योंकि ये जल से विषैले पदार्थों को अवशोषित कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण: शैवाल कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वातावरण में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

शैवाल पर्यावरण और जीव जगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। ये न केवल ऑक्सीजन उत्पादन में भूमिका निभाते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन, पोषण, और ऊर्जा के क्षेत्र में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान है। शैवाल के अध्ययन से हमें प्रकृति को बेहतर तरीके से समझने और पर्यावरण संरक्षण के नए उपाय खोजने में मदद मिल सकती है।

सौरभ पाण्डेय

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source- अमर उजाला नेटवर्क

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