शिमला: हिमाचल प्रदेश के हिमालयी घाटियों में बर्फ के नीचे के क्षेत्र में बदलते मौसम के असर का प्रमुख संकेत मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (हिमकोस्ट) के अनुसार, चार मुख्य हिमालयी घाटियों — चिनाब, व्यास, रावी, और सतलुज बेसिन में बर्फ के नीचे के क्षेत्र में 2023-24 के दौरान सात से 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
इस वर्ष की तुलना में पिछले वर्ष 2022-23 से यह कमी अधिक है, जबकि 2022-23 में ऐसी स्थिति नहीं थी। विशेषज्ञों ने बताया कि इस कमी का प्रमुख कारण दिसंबर और जनवरी में कम बर्फबारी का होना है, जो इस क्षेत्र के नीचे के क्षेत्रों के लिए अनुप्राणित कर रही है।
हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी महसूस किया जा रहा है, जिसके कारण बर्फ की लगातार पिघलने में सुधार आना मुश्किल हो रहा है। हिमकोस्ट के तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन और सिकुड़ते ग्लेशियरों पर अध्ययन किया जा रहा है, जिसमें यह पाया गया कि बर्फबारी में कमी के वर्ष 2023-24 में जनवरी महीने में सबसे अधिक दर्ज की गई है।
हिमकोस्ट के मुख्य सचिव, डीसी राणा, ने बताया कि सतलुज और चिनाब बेसिन में बर्फ के नीचे के क्षेत्र में यह कमी अधिक दर्ज की गई है, जो कि इस समय की तापमान और मौसम की अच्छी बर्फबारी के अभाव में है। वे बताते हैं कि फरवरी और अप्रैल के दौरान बेहतर बर्फबारी के कारण सुधार हुआ, लेकिन इसके बावजूद सात महीनों के दौरान कमी दर्ज की गई है।
हिमाचल प्रदेश में शिमला जैसे स्थानों में भी सर्दियों के दौरान बढ़ते तापमान का असर देखा गया है, जिससे बर्फबारी में देखी जाने वाली कमी के विपरीत एक समस्या उत्पन्न हुई है।
इस खबर में हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अनुसंधान के नवीनतम परिणामों के विश्लेषण को समाहित किया गया है। यह बताता है कि बर्फबारी में कमी के वर्ष 2023-24 में जलवायु परिवर्तन का संकेत है, जो हिमालयी भंडारों के लिए गंभीर समस्या हो सकती है।
source and data – दैनिक जागरण समाचार पत्र