हाल के वर्षों में, दिल्ली को एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती का सामना करना पड़ रहा है: इलेक्ट्रॉनिक कचरे, जिसे आमतौर पर ई-कचरा कहा जाता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय राजधानी ने केवल ई-कचरे का अधिकतम 2.3 लाख टन उत्पन्न किया, जो व्यवस्थित कचरे प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण समस्या को उजागर करता है। प्रयासों के बावजूद, इस कचरे का बड़ा हिस्सा सीधे भूमिगत खाद्यानों या जलाशयों में चला जाता है बिना किसी सटीक निपटान व्यवस्था के।
इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन की दुर्बलता न केवल दिल्ली में बल्कि पूरे देश में भी स्पष्ट है, जहां ई-कचरा अनियंत्रित रूप से भूमिगत खाद्यानों तक पहुंच जाता है। आश्चर्यजनक रूप से, तमिलनाडु के बाद दिल्ली ई-कचरे उत्पन्न करने वाले राज्यों में शामिल है, फिर भी इसे प्रबंधित करने के लिए संगठित प्रयास केवल कागजों पर सिमटे हुए हैं।

ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर में लगभग 5,000 रीसाइक्लर कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश 50,000 लोग लगे हैं, लेकिन संगठित तरीके से इसे एकत्र नहीं किया जा रहा है। चिंताजनक है कि दिल्ली देश के कुल ई-कचरे का पांच प्रतिशत से अधिक हिस्सा योगदान करती है। दिल्ली का ई-कचरा केवल कागजों पर ही तैयार हो रहा है, इसे संजीदगी से लेने की जरूरत है।
इस मुद्दे को समाधान करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने नरेला में 21 एकड़ क्षेत्र में देश का पहला ई-कचरा इको पार्क बनाने की मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का उद्देश्य वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ई-कचरे का पुनर्चक्रण करने के लिए उन्नत बुनियादी ढांचा शामिल करना है। इसमें शहर भर में 12 संग्रह केंद्र शामिल होंगे और अनौपचारिक क्षेत्र के कामकाजी लोगों को समान रीसाइक्लिंग प्रथाओं के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इन प्रयासों के बावजूद, चुनौतियाँ अभी भी बची हैं, विशेष रूप से विधियों के प्रभावी अमल के संदर्भ में। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इसे अनिवार्य बनाया है कि सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माता कंपनियां और रीसाइकलर्स को 31 अगस्त, 2024 तक ईपीआर पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। ई-कचरे के उत्पादन और पुनर्चक्रण की सूचनाओं की नियमित रिपोर्टिंग भी अनिवार्य होगी, जिससे कचरे प्रबंधन प्रथाओं में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

दिल्ली संपूर्ण ई-कचरे प्रबंधन बुनियादी ढांचे की दिशा में बढ़ रहा है, सरकारी और समुदायिक स्तर पर संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं ताकि इलेक्ट्रॉनिक कचरे के पर्यावरण पर प्रभाव को सकारात्मक रूप से कम किया जा सके। सतत प्रथाओं और नियमन मानदंडों का पालन महत्वपूर्ण होगा, जिससे शहर और उसके निवासियों के लिए एक साफ और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित हो सके।
ई-कचरा: डिजिटल युग में पर्यावरण के लिए एक नई चुनौती
आधुनिक दुनिया जिसमें तकनीकी उन्नति का समय है, उसमें ई-कचरा एक महत्वपूर्ण और चिंताजनक विषय बन चुका है। यह वास्तविकता में एक डिजिटल प्रदूषण का प्रतीक है, जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए एक मामला बन गया है। ई-कचरा वह सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक अवयवों का समूह है जो उनकी उपयुक्तता का समय समाप्त होने के बाद निकाल दिया जाता है।
ई-कचरा: परिभाषा और प्रकार
ई-कचरा का परिभाषा समय के साथ बदल गई है, लेकिन सामान्य रूप से इसमें स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, टेलीविजन, ट्रांसफॉर्मर, ट्रांसिस्टर, कैमरा, बैटरी, चार्जर, नोटबुक, विडियो कैसेट, डीवीडी, मोनीटर, लेप्टॉप, और डिजिटल डिवाइसेज़ जैसे उपकरण शामिल होते हैं। ये उपकरण तकनीकी उन्नति के साथ नए और बेहतर उत्पादों के बदलने के कारण नियमित अद्यतनीयता की आवश्यकता होती है, जिससे ये उपकरण पुराने हो जाते हैं।
ई-कचरा की समस्याएँ और उनके प्रभाव
ई-कचरा का प्रमुख समस्या यह है कि इसका प्रबंधन और निस्तारण अभी भी अधूरा है। धरती पर डिजिटल संसाधनों के अन्यान्य प्रकार के संवर्धन के मुकाबले, ई-कचरा को पुनः प्रयोज्य बनाना और स्वच्छ करना अधिक मुश्किल होता है। इससे प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग और प्रदूषण की समस्याएँ भी बढ़ती हैं। ई-कचरा में विषाणुओं, लोहों, एस्बेस्टोस, फ्लोरीन, लीड, निकेल, कैडमियम, बरियम, ब्रॉमिन, फॉस्फोरस, सल्फर, बोरॉन, प्लेस्टिक्स, और अन्य जलनशील तत्व पाए जा सकते हैं, जो वातावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

ई-कचरा के प्रबंधन के सम्भावित समाधान
ई-कचरा के प्रबंधन के लिए कुछ मुख्य समाधान हैं जैसे कि सुरक्षित निस्तारण, पुनःप्रयोजन, और उत्तेजन। अधिकांश उत्पादों में उपयुक्त तरीके से बिजली और स्विच को निकालना, जिससे नियमित रूप से उपयुक्तता और प्रदर्शन में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, सामुदायिक स्तर पर संगठना, शिक्षा, और प्रशिक्षण साझा करने से लोगों में जागरूकता और समर्थन बढ़ सकता है।
समय के साथ, दुनिया ई-कचरा के प्रबंधन में सुधार करने के लिए प्रेरित हो रही है। नई प्रौद्योगिकियों, कानूनी उपायों, और सामाजिक परिवर्तनों के माध्यम से हम सब मिलकर इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। इससे न केवल हमारे वर्तमान की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि हमारे आने वाले पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्थिर पर्यावरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
source and data – दैनिक जागरण