केरल की झील में मछलियों में मिली माइक्रोप्लास्टिक

prakritiwad.com
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नई दिल्ली। जल स्रोतों में पहुंच रहे प्लास्टिक का भयावह रूप सामने आ गया है। अब केरल की अंतरराष्ट्रीय महत्व की अष्टमुडी झील के पानी और मछलियों की जांच में माइक्रोप्लास्टिक्स का 40.9 फीसदी तक अनुपात मिला है। इस भयावह स्थिति के सामने आने के बाद एनजीटी ने केरल सरकार के 10 प्रमुख अधिकारियों को नोटिस जारी कर पूरे मामले का जवाब मांगा है।

केरल सरकार के अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, केरल तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण, केरल स्टेट वेटलैंड्स अथॉरिटी, सदस्य सचिव केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, निदेशक स्थानीय निकाय, निदेशक पर्यटन, निदेशक उद्योग, निदेशक पंचायत, क्षेत्रीय निदेशक सीपीसीबी, क्षेत्रीय अधिकारी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय।

बायोलॉजी एंड फिशरीज विभाग ने 19.6 फीसदी से 40.9 फीसदी तक माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी पाई। नमूनों की जांच में प्लास्टिक पॉलिमर के साथ भारी धातुओं की भी मौजूदगी पाई गई है। माइक्रोप्लास्टिक के रूप में पॉलीस्टाइरीन, पॉलिथीलीन, पॉलीप्रोपलीन, पॉलीकार्बोनेट के तत्व पाए गए हैं। यह माइक्रोप्लास्टिक सीधे तौर पर नगर निगम कूड़ा और सीवर के कुएंफचावंचन की वजह से झील में पहुंच रहा है। इसके अलावा झील के पास मौजूद रिसॉर्ट्स, आवासीय कॉलोनियों भी इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बताए गए हैं। नायलॉन के रूप में माइक्रोप्लास्टिक मछलियां पकड़ने के लिए उपयोग होने वाले जाल आदि के वजह से पानी में पहुंच रही है।

पर्यावरण को खतरे की गंभीरता को बताते हुए सभी जिम्मेदार अधिकारी अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपना जवाब देंगे। अगली सुनवाई इस मामले में 13 सितंबर को एनजीटी करेगा। इस मामले को माइक्रोप्लास्टिक से जुड़े एक और मामले के साथ सुना जाएगा। इसमें पूरे देश में जलस्रोतों में पैदा हुए माइक्रोप्लास्टिक के खबर पर एनजीटी सुनवाई कर रहा है।

अष्टमुडी झील को 2002 में रामसर साइट का दर्जा मिला था। मछलियां और जैवविविधता के इसके महत्व को देखते हुए इसे चुना गया था। यूरोपीय यूनियन के सहयोग से तैयार इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कोल्लम जिले में रामसर साइट का दर्जा पाए वेटलैंड्स अष्टमुडी झील में दर्जनों मछली, शेलफिश, तिलचट्टे और पानी के अन्य जीव माइक्रोप्लास्टिक के कारण प्रभावित हो रहे हैं।

एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी, डॉ. सॉईल बेल के आदेश में कहा गया है कि रिपोर्ट को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले पेश किया जाए।

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