बलिया: गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर बलिया नगर पालिका परिषद पर 2.3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। यह मामला कटहल नाले के माध्यम से गंगा में छोड़े जा रहे सीवेज से संबंधित है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने बलिया नगर पालिका परिषद और उसके अधिशासी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।
जल अधिनियम 1974 के तहत कार्रवाई
यूपीपीसीबी ने 15 मई 2024 को जल अधिनियम 1974 के तहत बलिया नगर पालिका परिषद के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें मुख्य आरोप यह था कि नगर पालिका ने गंगा नदी में छोड़े जा रहे सीवेज को साफ करने के लिए कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित नहीं किया। इस कमी के चलते गंगा नदी का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है।
जुर्माना और मुआवजा
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बलिया नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी पर 2.3 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया है। यह जुर्माना गंगा में छोड़े जा रहे सीवेज के निस्तारण के लिए उचित व्यवस्था न किए जाने के कारण लगाया गया है।
भुगतान न होने की स्थिति
अब तक यह मुआवजा नहीं भरा गया है, जिसके चलते 29 अगस्त 2024 को यूपीपीसीबी ने बलिया के जिला मजिस्ट्रेट से अनुरोध किया है कि वह जिम्मेवार अधिकारी से मुआवजा वसूलने में मदद करें।
प्रस्तावित रिपोर्ट
यह जानकारी 30 अगस्त 2024 को यूपीपीसीबी द्वारा दाखिल रिपोर्ट में साझा की गई है। रिपोर्ट को एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा 17 मई 2024 को दिए गए आदेश के आधार पर कोर्ट में दाखिल किया गया है।
बलिया नगर पालिका परिषद पर लगाया गया 2.3 करोड़ रुपए का जुर्माना गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर की गई गंभीर लापरवाही का संकेत है। यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी को उजागर करता है, बल्कि यह गंगा नदी की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाने की आवश्यकता को भी दर्शाता है। इस मुद्दे के समाधान के लिए शीघ्र कार्यवाही की आवश्यकता है ताकि गंगा की पवित्रता और इसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जा सके।
बलिया नगर पालिका परिषद पर गंगा प्रदूषण के मुद्दे पर 2.3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाना उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला कटहल नाले के माध्यम से गंगा में छोड़े जा रहे सीवेज के कारण उत्पन्न हुआ है और यह दिखाता है कि स्थानीय प्रशासन की ओर से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी ने पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाला है।
इस जुर्माने के साथ, यूपीपीसीबी ने गंगा की स्वच्छता सुनिश्चित करने और भविष्य में ऐसे प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए हैं। जुर्माना अब तक अदा नहीं किया गया है, जिससे जिला मजिस्ट्रेट को जिम्मेवार अधिकारी से मुआवजा वसूलने में मदद करने का अनुरोध किया गया है।
यह घटना प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के महत्व को उजागर करती है। गंगा नदी की स्वच्छता और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े और गंगा की पवित्रता को संरक्षित किया जा सके।